मोदी सरकार कहाँ से लाती है प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना के लिए पैसा

आजकल हमारे देश में मुफ़्त की रेवड़ी बाँटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की भरसक कोशिश हो रही है. ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है. रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता जनार्दन को मुफ़्त की रेवड़ी बाँटकर उन्हें ख़रीद लेंगे. हमें मिलकर रेवड़ी कल्चर को देश की राजनीति से हटाना है.”
साल 2022 में दिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान पर काफ़ी चर्चा हुई थी.


कोई और (राजनीतिक दल) बाँटे तो रेवड़ी और वो (मोदी सरकार) बाँटे तो विटामिन की गोलियां…
लोगों को मुफ्त में चीज़ें या पैसे देने से सियासी दलों के वादों पर मीडिया में बहस के दौरान अक्सर विपक्षी नेता ये तर्क देते हुए देखे-सुने जा सकते हैं.


यहाँ तक कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुँचा था और उच्चतम न्यायालय ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा था कि वेलफ़ेयर स्टेट होने के नाते मुफ़्त चीज़ें ज़रूरतमंदों को मिलनी चाहिए, लेकिन अर्थव्यवस्था को हो रहे नुक़सान और वेलफ़ेयर में संतुलन बिठाने की ज़रूरत है.

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