प्रज्ञा ठाकुर मैदान से बाहर और दिग्विजय सिंह ने बदला मैदान, अब कैसी है भोपाल की लड़ाई

 

बात साल 1984 की है. तब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी.

पूरे देश में कांग्रेस के लिए और ख़ास तौर पर राजीव गांधी के लिए सुहानुभूति की लहर थी. उसी साल हुए लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला.

भोपाल की लोकसभा की सीट पर भी कांग्रेस के प्रत्याशी केएन प्रधान ने बड़ी जीत दर्ज की थी. भोपाल लोकसभा सीट पर ये कांग्रेस का सबसे बेहतर प्रदर्शन था.

कुल मतों का 61.73 प्रतिशत वोट प्रधान को मिला जो अब तक इस सीट पर कांग्रेस के किसी भी प्रत्याशी को मिलने वाले वोटों का रिकॉर्ड है.

लेकिन, अगले ही चुनावों में, यानी वर्ष 1989 में, प्रधान को भारतीय जनता पार्टी के सुशील चन्द्र वर्मा ने हरा दिया था. फिर इस सीट पर कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई.

भोपाल की लोकसभा की सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा. भोपाल को भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट माना जाता रहा.

पिछले लोकसभा के चुनावों में इस सीट पर तब रोचक मुक़ाबला देखने को मिला जब भारतीय जनता पार्टी ने मैदान में प्रज्ञा ठाकुर को उतारा था.

 

कांग्रेस ने भी, जिसे कहते हैं ‘पुटिंग बेस्ट फुट फॉरवर्ड’, यानी अपने सबसे मज़बूत खिलाड़ी दिग्विजय सिंह को उनके ख़िलाफ़ मैदान में उतारा था.

 

दिग्विजय सिंह को पांच लाख से भी ज़्यादा वोट मिले थे. मगर उसके बावजूद प्रज्ञा ठाकुर ने उनको तीन लाख 64 हज़ार वोटों से हरा दिया था.

भोपाल की सीट पर पहले भी कई जाने-माने लोगों ने अपनी किस्मत आजमाई है.

भारत के पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी और उमा भारती ने भी इस सीट से जीत दर्ज की थी.

वहीं इस सीट पर 1991 में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मंसूर अली ख़ान पटौदी को भी हार का सामना करना पड़ा था. वो कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

प्रमुख खबरे

hi Hindi
X
error: Content is protected !!
सिर्फ सच टीवी भारत को आवश्यकता है पुरे भारतवर्ष मे स्टेट हेड मंडल ब्यूरो जिला ब्यूरो क्राइम रिपोर्टर तहसील रिपोर्टर विज्ञापन प्रतिनिधि तथा क्षेत्रीय संबाददाताओ की खबरों और विज्ञापन के लिए सम्पर्क करे:- 8764696848,इमेल [email protected]