Lok Sabha Elections: पूर्वोत्तर में 25 सीटों पर रोचक सियासी समीकरण, दिल और दिल्ली से नजदीकियों का इम्तिहान
Election Special: असम में बिहू की तैयारियों के साथ लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां भी रफ्तार पकड़ रही हैं। महिलाओं में जैसा उत्साह इस समृद्ध लोक-उत्सव के प्रति है, वैसा चुनाव के प्रति अभी सतह पर भले न दिखे, लेकिन पहले दौर के मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ रंगत दिखने लगेगी। यह कहना है सोनितपुर की शिक्षिका कोकिला गोस्वामी का। वह कहती हैं, मामा (हिमंत बिस्व सरमा) की नाक नीचे नहीं होने देंगे।
महीने की दस तारीख आते ही असम की 26 लाख से ज्यादा महिलाओं के बैंक खातों में अरुणोदय योजना के तहत 1,250 रुपये जमा हो जाते हैं। बीते साल सरकार ने 2.23 लाख महिलाओं के छोटे कर्ज माफ किए। इससे पहले, नौ लाख महिलाओं के 1,600 करोड़ के कर्ज भी माफ किए जा चुके हैं। 39 लाख स्वयं सहायता समूह की सदस्यों और ग्रामीण उद्यमी महिलाओं को महिला उद्यमिता अभियान में 10,000 रुपये की मदद दी जा रही है। ये लाभ जो केंद्रीय योजनाओं के अतिरिक्त हैं, बताते हैं कि पूरे देश की तरह असम में भी भाजपा सरकार ने निजी लाभार्थियों का नया समूह खड़ा कर लिया है। यही भाजपा में नए मामा मुख्यमंत्री के उदय का आधार बना है। असम में सीएम हिमंत बिस्व सरमा की यह नई पहचान है। महिलाएं-बेटियां ही नहीं, अधिसंख्य युवा व बुजुर्ग भी उन्हें मामा के नाम से संबोधित करते हैं। नलबाड़ी के बुजुर्ग रामशरण दास से जब सवाल होता है कि वह तो आपके बेटे की उम्र के हैं? जवाब आता है, वह अब सबके मामा हैं।
इतना भर ही नहीं है। सालों तक परेशानी का बायस बने रहे बाहरी बनाम असमी मुसलमानों के विवाद के बीच, सरकार ने 2022 में पांच सह-मुस्लिम समूहों को स्थानीय का दर्जा दिया। उन्हें पूर्वी-बंगाल के प्रवासी मुसलमानों से अलग पहचान मिली है। यह एक ऐसा कदम है, जिससे भाजपा को लोकसभा संग्राम-2024 में खासा लाभ मिलने का भरोसा है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिला मतदाताओं को लुभाने में भाजपा ने कोई कमी नहीं छोड़ी है। यह बताता है कि भाजपा के लिए असम कितना महत्वपूर्ण है।
पूर्वोत्तर के आठ राज्यों की 25 में से 14 लोकसभा सीट इसी असम में हैं। बीते आम चुनाव में भाजपा ने एनडीए के जरिये इनमें से 18 सीट पर कब्जा जमाया था। अब मुख्यमंत्री सरमा का दावा है, इस बार 22 सीट जीतेंगे। इनमें 16 भाजपा की होंगी।