OSD की चाल में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत की मुश्किलें बढ़ना तय, भजनलाल सरकार कराएगी फोन टैपिंग प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच!

राजस्थान के बहुचर्चित फोन टैपिंग मामले में अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गहलोत के पूर्व ओएसडी रहे लोकेश शर्मा के हाल ही किए खुलासों के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने सरकार से मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।जयपुर/जोधपुर: पूर्ववर्ती सरकार में हुए फोन टैपिंग मामले में अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत घिरते जा रहे हैं। गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा की ओर से 24 अप्रैल को फोन टैपिंग को लेकर किए गए

 

खुलासे के बाद अब पूर्व सीएम मुश्किलें बढ़ सकती है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर फोन टैपिंग प्रकरण की जांच कराए जाने की मांग उठाई गई है। राठौड़ ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के फोन टैप होना एक बेहद गंभीर मामला है। इसकी उच्च स्तरीय जांच करवा कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गैर कानूनी तरीके से जनप्रतिनिधियों के फोन टैप किए। हालांकि विशेष परिस्थितियों के दौरान फोन टैप की संवैधानिक शक्तियां मुख्यमंत्री के पास होती है लेकिन पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने उन शक्तियों का दुरुपयोग किया। यह दुर्भाग्य की बात है कि सरकारी एजेंसियों पर दबाव बनाकर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कई चुने हुए जनप्रतिनिधियों के फोन गैर कानूनी तरीके से टैप किए गए। राठौड़ ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के दबाव बना कर उच्च पदों पर बैठे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस शामिल किया गया।
राठौड़ ने कहा कि फोन टैपिंग के लिए एक विधिक प्रक्रिया अपनाई जाती है लेकिन पूर्व सीएम गहलोत ने नियमों को ताक में रख कर फोन टैपिंग कराई। इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 और इंडियन टेलीग्राफ रुल्स 1951 की खुलकर धज्जियां उड़ाई गई। उन्होंने कहा कि अब जनता के सामने इस बात का खुलासा होना चाहिए कि पूर्व सीएम गहलोत ने आखिर किसकी अनुमति से फोन टैप कराए। जनप्रतिनिधियों के फोन टैप क्यों कराए गए और क्या फोन टैपिंग प्रक्रिया में तमाम संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया गया था। इसका पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच होना आवश्यक है ताकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके।

 

लोकेश शर्मा के खुलासे के बाद फिर बाहर आया फोन टैपिंग का जिन्न

फोन टैपिंग का यह प्रकरण जुलाई 2020 का है जब सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायक जयपुर छोड़कर चले गए थे। उन दिनों गहलोत सरकार संकट में आ गई थी। सरकार बचाने के लिए कई षड़यंत्र रचा गया जिसमें फोन टैपिंग भी शामिल था। गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने 16 जुलाई 2020 को तीन ऑडियो क्लिप मीडियाकर्मियों को भेजे गए थे जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित कुछ कांग्रेसी नेताओं की कथित बातचीत होना बताया गया। इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली क्राइम ब्रांच में केस भी दर्ज करा रखा है जिसमें लोकेश शर्मा आरोपी के रूप में फंसे हुए हैं। तीन साल तक लोकेश शर्मा यही कहते रहे कि उन्हें ये तीन ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया के जरिए प्राप्त हुई थी

 

 

लेकिन 24 अप्रैल 2024 को उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करके इस बात का खुलासा किया कि ये तीनों ऑडियो क्लिप उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने ऑफिस में बुलाकर पेन ड्राइव में दी थी। पेन ड्राइव देकर यह कहा था कि ये मीडिया में वितरित कर दो। लोकेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री के ओएसडी होने के नाते उन्होंने उनके आदेश की पालना की। लोकेश शर्मा के इस खुलासे के बाद राजेंद्र राठौड़ ने फोन टैपिंग मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग उठाई है।

 

 

 

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