अम्बेडकर सभागार में आयोजन हुआ फरोग-ए-उर्दू सेमिनार व मुशायरा । डी.एम के कर-कमलों से हुआ शुभारंभ ।
दरभंगा, 12 मार्च 2022 : दरभंगा, समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेदकर में उर्दू निदेशालय, मंत्रीमंडल सचिवालय विभाग, बिहार सरकार के तत्वाधान में एवं जिला उर्दू भाषा कोषांग, दरभंगा द्वारा जिला स्तरीय कार्यशाला, फरोग-ए-उर्दू सेमिनार एवं मुशायरा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ जिलाधिकारी राजीव रौशन के कर-कमलों से दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस अवसर पर उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, सहायक निदेशक, जिला अल्पसंख्यक कल्याण-सह-प्रभारी पदाधिकारी, जिला उर्दू भाषा कोषांग मो. रिजवान अहमद, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (समेकित बाल विकास परियोजना) डॉ. रश्मि वर्मा ने सहयोग प्रदान किया एवं बारी-बारी से दीप प्रज्जवलन किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि भाषा कई प्रकार की होती है, एक वो जो बाली जाए और सामने वाले को समझ में आ जाए, लेकिन उर्दू ऐसी भाषा और ऐसी जुबान है, जो दिमाग से दिगाम तक नहीं दिल से दिल तक पहुँचती है। इसकी जड़े हमारी संस्कृति में बहुत गहरी है, जब हम भारत वर्ष के इतिहास का अवलोकन करते है, तो लोगों को एक सूत्र में पिरोने अपने मुल्क और देश को विकसित करने, यहाँ की संस्कृति को बहुआयमी पहचान देने का काम हमारी भाषाओं ने किया है और उसमें उर्दू का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि यह-जुबान हमारी संस्कृति, सभ्यता और विरासत को लेकर चलती है।
उन्होंने कहा कि उर्दू के शेरो-शयरी के बिना वॉलीवुड के नग्मे व
हमारी संस्कृतिक विरासत अधुरी है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग ये समझते है कि एक भाषा दूसरी भाषा का विरोध करता है और साथ लेकर नहीं चलता, लेकिन भारत वर्ष की भाषाएँ एक दूसरे के बिना अधुरी है। एक भाषा में दूसरी भाषा के तत्व बहुत ही गहराई से समाहित है। उर्दू भाषा में हिन्दी के शब्द, हिन्दी भाषा में उर्दू के शब्द, बंगला में उर्दू के शब्द एवं संस्कृत के शब्द तो सभी भाषा में मिलते हैं।
इस प्रकार यह हमारी संस्कृति का वह गुलदस्ता है, जिसमें हर रंग के फूल है और गुलदस्ता में हर रंग के फुल का अपना महत्व है और वे सब मिलकर भारत वर्ष के गुलदस्ते को बहुत खुबसुरत बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा प्यार व मोहब्बत की होती है और लोगों के बीच भेद-भाव दूर करने का काम करती है।
उन्होंने कहा कि अभी हमारे सामने होली का त्योहार है, शब-ए-बरात भी है, जिसमें लोग आपसी भेद-भाव भुलाकर एक होने का काम करते हैं और अपनी सामाजिक विरासत को आगे ले जाते हैं।
भारत वर्ष का इतिहास बहुत ही लम्बा और स्वर्णीम है, जिसपर हम सब लोगों को नाज होना चाहिए और नाज है। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता की शुभकामनाएं दी और एक शेर अर्ज की – ’’वो अपनी नफरते मेरे चहरे तक लाया तो था, मैंने चुमे हाथ उसके और बेबस कर दिये’’
उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि उर्दू भाषा में मिठास है, यह दिलों को छूती है। हिन्दी सिनेमा जगत के अनेक मशहुर नग्मे मजरूह सुल्तानपुरी, शाहिर लुधियानवी, कमर जलालावादी, हसरत जयपुरी, मनोज मुंतसिर, कवि प्रदीप द्वारा लिखी गयी है, जिनमें उर्दू शब्दों की भरमार है। उर्दू के अजीम शायर ईकबाल, मिर्जा गालिब के गीत देशभक्ति को बयाँ करता है। हिन्दी के कई साहित्यकार उर्दू भाषा पर अच्छी पकड़ रखते हैं। उर्दू भारत की भाषा है, जो दिलों को छुती है।
इस अवसर पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (समेकित बाल विकास परियोजना) डॉ. रश्मि वर्मा ने भी अपनी शुभकामना दी एवं उमराव जान फिल्म के गीत प्रस्तुत किये।
इसके पूर्व सहायक निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण द्वारा कार्यक्रम की रूप-रेखा प्रस्तुत की गयी। कार्यक्रम का संचालन वासिफ जमाल द्वारा किया गया तथा दो छात्राएँ रोकैया अली एवं उमम हबीबा ने तराना पेश किया।