केंद्र ने कहा- कोर्ट नीतियों में दखल नहीं दे सकता, SC की दो टूक- अधिकारों पर खतरा हो तो खामोश नहीं रहेंगे

सुप्रीम कोर्ट  ने कोरोना वायरस महामारी  के समय दवा, इलाज, ऑक्सीजन और वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. सरकार ने इस दौरान कोर्ट के अधिकारों पर सवाल उठाया. केंद्र ने कहा कि कोर्ट सरकारी नीतियों में दखल नहीं दे सकता. इसपर अदालत ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि जब लोगों के अधिकारों पर हमला हो, तो वह खामोश नहीं रह सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘संविधान ने हमें जो भूमिका सौंपी है, हम उसका पालन कर रहे हैं. संविधान के मुताबिक, जब कार्यपालिका लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करे, तो न्यायपालिका मूकदर्शक न रहे.’

शीर्ष अदालत ने कहा है कि 18 से 44 साल के उम्र के लोगों के लिए डिजिटल पोर्टल ‘को-विन’ पर पूरी तरह आश्रित टीकाकरण नीति  ‘डिजिटल खाई’ के कारण सार्वभौमिक टीकाकरण के अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगी. इससे समाज के वंचित वर्ग को ‘पहुंच में अवरोध’ का नुकसान झेलना होगा.

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की नीति समानता के मौलिक अधिकार और 18 से 44 वर्ष के उम्र समूह के लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार पर गंभीर असर डालेगी. शीर्ष अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि डिजिटल रूप से शिक्षित लोगों को भी को-विन पोर्टल के जरिए टीकाकरण स्लॉट पाने में मुश्किलें आ रही हैं.

कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि क्या उसने को-विन वेबसाइट की पहुंच और आरोग्य सेतु जैसे ऐप का ऑडिट किया है कि दिव्यांग लोगों की कैसे उन तक पहुंच हो. न्यायालय ने कहा कि उसके संज्ञान में आया है कि को-विन प्लेटफॉर्म तक दृष्टिबाधित लोगों की पहुंच नहीं है और वेबसाइट तक पहुंच में कई अवरोधक हैं.

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