संजय मिश्रा 15 सितंबर तक ही ED डायरेक्टर:केंद्र ने कहा- 30 सितंबर कर दें, सुप्रीम कोर्ट बोला- क्या डिपार्टमेंट में बाकी सब नाकारा हैं

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 15 सितंबर तक बढ़ा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम लोगों और देश का हित देखते हुए मिश्रा का कार्यकाल बढ़ा रहे हैं।

केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि कुछ पड़ोसी देश चाहते हैं कि भारत को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाए। FATF रिव्यू कर रहा है और ऐसे में संजय मिश्रा का पद पर बने रहना जरूरी है।

 

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने कहा कि हम अभी कार्यकाल बढ़ा रहे हैं पर 15 सितंबर को आधी रात के बाद मिश्रा पद पर नहीं रहेंगे।

 

बेंच ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से यह भी कहा कि क्या हमारे सामने ऐसी तस्वीर नहीं रखी जा रही है कि संजय मिश्रा के अलावा पूरा डिपार्टमेंट नाकारा लोगों से भरा हुआ है।

 

फैसले के बाद भी केंद्र ने कहा- 30 सितंबर तक बढ़ा दें, सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

 

SG तुषार मेहता ने संजय मिश्रा का कार्यकाल 15 सितंबर तक बढ़ाए जाने के बाद भी बेंच से अपील की। कहा कि आप कार्यकाल 30 सितंबर तक बढ़ाने जाने पर विचार कर सकते हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा- नहीं, यह एक्सटेंशन भी हम देशहित को देखते हुए दे रहे हैं। सामान्य स्थितियों में आपकी एप्लिकेशन को मंजूर नहीं किया जा सकता था, लेकिन पब्लिक इंट्रेस्ट को देखते हुए हम संजय मिश्रा का कार्यकाल बढ़ा रहे हैं। हम आपको स्पष्ट कर दें कि मिश्रा का कार्यकाल अब आगे नहीं बढ़ाया जाएगा

सुप्रीम कोर्ट के कमेंट और केंद्र-ED की दलीलें…

 

सुप्रीम कोर्ट: क्या कोर्ट ढह जाएगा: जस्टिस गवई ने कहा- यदि एक अफसर नहीं हो तो काम ही नहीं होगा। अगर मैं कल नहीं आऊंगा तो क्या सुप्रीम कोर्ट में काम होना बंद हो जाएगा, कोर्ट ढह जाएगा? क्या एक व्यक्ति ही इतना अहम है?

 

केंद्र: मिश्रा का रहना देशहित में: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं है, लेकिन FATF की टीम 3 नवंबर को भारत आने वाली है। मिश्रा का रहना देश के हित में होगा। वे बेहतर ढंग से पक्ष रखेंगे।

 

सुप्रीम कोर्ट: क्या सब एक आदमी के कंधों पर टिका: याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि क्या देश में सब कुछ एक व्यक्ति के कंधों पर ही टिका है। एफएटीएफ रिव्यू यदि कारण है तो फिर सरकार ने मिश्रा के लिए अक्टूबर तक ही एक्सटेंशन क्यों मांगा, रिव्यू तो 2024 तक चलेगा। वैसे भी रिव्यू केवल ईडी पर नहीं, 40 अन्य मापदंडों पर होगा।

 

पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कार्यकाल बढ़ाने का फैसला गैर-कानूनी

 

26 जुलाई को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच में इस मसले पर सुनवाई के लिए एक आवेदन दायर किया था।

इससे पहले, 11 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाने का केंद्र का फैसला गैर-कानूनी है।

इस पर केंद्र ने कहा था कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का रिव्यू चल रहा है, इसलिए संजय को 15 अक्टूबर तक पद पर रहने दिया जाए।

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