महिला आरक्षण का मुद्दा

महिला आरक्षण का मुद्दा विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन पर क्या असर डाल सकता है?चंदन कुमार जजवाड़े

पदनाम,बीबीसी संवाददाता

19 सितंबर 2023

केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा में पेश कर दिया है.

 

सोमवार को कैबिनेट ने इस विधेयक को मंज़ूरी दे दी थी. इसके साथ ही लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का मुद्दा अचानक चर्चा में आ गया है.

 

विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक़ लोकसभा या राज्यों के विधानसभा में मौजूदा एससी-एसटी आरक्षण में भी 33 फ़ीसदी सीटों की हिस्सेदारी महिलाओं की होगी.

 

मौजूदा समय में लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं. यह क़ानून उन सांसदों या विधायकों पर लागू होगा, जिन्हें सीधे जनता वोट देकर चुनती है. यह आरक्षण संसद के ऊपरी सदन यानी राज्य सभा या विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा.

 

साथ ही लोकसभा या विधानसभा सीटों पर आरक्षण भी रोटेशन के आधार पर होगा और हर परिसीमन के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें बदली जा सकेंगी.

 

महिला आरक्षण विधेयक बीते 27 साल से पास होने का इंतज़ार कर रहा है. भारत के कई राजनीतिक दल संसद और विधानसभा में महिला आरक्षण का विरोध करते रहे हैं.

 

राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव खुलकर इस तरह के आरक्षण का विरोध किया था. जबकि जनता दल के दिवंगत सांसद शरद यादव ने भी महिला आरक्षण को लेकर विवादास्पद टिप्पणी तक कर दी थी.

 

इस मामले में बीजेपी के नेता भी पीछे नहीं रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के दो पुराने ट्वीट शेयर किए हैं, जिसमें अमित मालवीय महिला आरक्ष

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