जितने का धान खराब, उतने में बनते 2000 गोदाम; अभी सरकार के पास धान रखने के लिए 1300 गोदाम हैं
भास्कर की पड़ताल के मुताबिक सरकारी आंकड़ों में साल 2019-20 में ही 80 हजार टन धान खराब हुआ था। इसकी कीमत लगभग 590 करोड़ रुपए आंकी गई, लेकिन अफसरों का अनुमान है कि पिछले पांच साल में औसतन 900 करोड़ रुपए का धान हर साल खराब हुआ है। पांच साल में यह राशि साढ़े 4 हजार करोड़ रुपए हो रही है। मोटे तौर पर सरकार 10 हजार टन के आसपास क्षमता के गोदाम बना रही है, जिसकी लागत 2 करोड़ रुपए के आसपास है।
इस तरह, पांच साल में साढ़े 4 हजार करोड़ रुपए से लगभग 2 हजार नए गोदाम बन सकते थे। अभी सरकार के पास धान रखने के लिए 1300 गोदाम हैं। इनमें सरकार ने पिछले दो दशक में करीब एक हजार गोदाम बनवाए हैं। लगभग 300 गोदाम अब भी किराए से लिए जा रहे हैं। धान को खराब होने से बचाने के लिए पिछले साल 4 लाख टन क्षमता के 225 नए गोदाम बनाने का फैसला किया था, जिस पर अभी काम चल रहा है। लेकिन इनके पूरा होने के बाद भी पूरा धान खुले से नहीं हटाया जा सकेगा। इस बीच, मंगलवार को भी प्रदेश के कई जिलों में अचानक हुई बारिश और ओलों से खुले में रखे धान के खराब होने की आशंका बढ़ गई है। खरीदी शुरु होने से पहले से सभी केन्द्रो में कैप कवर रखने के लिए कहा गया था लेकिन अधिकांश में कैप कवर पहुंच ही नहीं पाए हैं। जिसकी वजह से चबूतरों में रखा धान भीगा है।
खर्च: दो साल में करीब 16 करोड़ के कैप कवर
धान को भीगने से बचाने के लिए दो साल में 16 करोड़ 62 रुपए का कैप कवर खरीदा गया है। 2019-20 में 12 हजार 500 कैप कवर 7470 रुपए प्रति नग की दर से तथा 2020-21 में 10 हजार कैप कवर 7290 रुपए प्रति नग की दर से खरीदे गए। वर्तमान में 2484 केन्द्रों से धान खरीदी की जा रही है।
…और इधर मंत्री कहते हैं दो माह ही उपयोग, इसलिए ज्यादा गोदाम नहीं
हर साल लगभग 5-6 सौ करोड़ का धान खराब होता है। गोदाम का उपयोग दो माह का है। इस पर बहुत पैसे खर्च हो जाएंगे और सालभर उपयोग नहीं रहेगा, इसलिए गोदाम नहीं बनाते।’
-अमरजीत भगत, खाद्यमंत्री छत्तीसगढ़