किसान की मेहनत पानी में:प्रदेश में बारिश से भीग गया खुले में रखा लाखों टन धान; करोड़ों रुपए का धान हर साल हो रहा खराब

पाटन के पास बठेना धान खरीदी केंद्र का हाल, 29 दिन में 53 लाख टन धान खरीदी, सिर्फ 15 लाख टन ही हटाया, 38 लाख टन धान खुले में। - Dainik Bhaskar
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पाटन के पास बठेना धान खरीदी केंद्र का हाल, 29 दिन में 53 लाख टन धान खरीदी, सिर्फ 15 लाख टन ही हटाया, 38 लाख टन धान खुले में।

पिछले 24 घंटे से प्रदेश के बड़े हिस्से में हो रही जोरदार बारिश से धान खरीदी केंद्रों में खुले में रखे 38 लाख टन धान को बड़े नुकसान की आशंका है। लगातार बारिश की वजह से बुधवार को सुबह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए कि पूरे धान को तुरंत ढंका जाए और नुकसान का आंकलन किया जाए।

भास्कर की पड़ताल के मुताबिक प्रदेश में 1 दिसंबर से अब तक 52.90 लाख टन धान खरीदा गया है, जिसमें से 15 लाख टन धान ही कस्टम मिलिंग और अन्य कारणों से हटाया जा सका है। प्रदेशभर के 2484 खरीदी केंद्रों में बाकी 38 लाख टन धान रखा है, जिसमें से ज्यादातर खुले में ही है। थोड़ा हिस्सा ही तिरपाल से ढंका हुआ है, लेकिन केंद्रों में पानी भरने से नीचे के बोरों से नमी ऊपर तक आने का खतरा पैदा हो गया है।

भास्कर टीम ने राजधानी से 15 किमी के दायरे में आधा दर्जन से ज्यादा केंद्रों का दौरा किया और पाया कि लगभग सभी जगह केंद्रों में 60 फीसदी धान खुला रखा है। बारिश से ऊपर रखे बोरे भीग गए हैं और पानी भरने से नीचे की लेयर बुरी तरह भीग चुकी है।

सोमवार रात से हो रही बारिश के बाद भास्कर ने रायपुर से लगे मंदिर हसौद, आरंग, नारा, जरौद, गोढ़ी, धरसींवा, कुरा और कुम्हारी तथा आसपास के धान खरीदी केन्द्रों का जायजा लिया तो अधिकांश केन्द्रों में धान भीगा नजर आया। केन्द्रों में लगे कर्मचारी बरसते पानी के बीच कैप कवर लगाते दिखे।

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नाराजगी: जिला विपणन अधिकारी को नोटिस
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने मंदिरहसौद, जरौज, नारा, गोढ़ी, दोंदेकला, बंगोली और आरंग के धान खरीदी केन्द्रों का जायजा लिया। इस दौरान उन्हें धान बारिश में भींगते नजर आया। मंत्री के नाराजगी के बाद 6 समिति प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया। जिला विपणन अधिकारी को नोटिस जारी किया गया।

अलर्ट: चबूतरे-कैप कवर से बचाने की कोशिश
खरीदी केंद्रों में धान को भीगने से बचाने के लिए 2399 केन्द्रों में लगभग 4500 से ज्यादा चबूतरे बनाए जा चुके हैं। लेकिन इन्हें ढकने के लिए कैप कवर सभी केंद्रों में नहीं पहुंच पाए हैं और अचानक बारिश हो गई है। इस वजह से हजारों टन खुला धान खतरे में आ गया है।

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