अब परीक्षा की घड़ी… कैसे सूरज के इतने नजदीक जाकर भी नहीं जलेगा आदित्य L1
आदित्य L1 6 जनवरी को अपना सफर पूरा कर लेगा. धरती और सूर्य के बीच स्थित लैंग्रेज प्वॉइंट पर रहकर ही यह सूरज के रहस्यों को सुलझाएगा. यह वो इलाका है जो काफी गर्म रहता है. ऐसे में ISRO के स्पेसक्राफ्ट के लिए खुद को बचाना भी बड़ी चुनौती होगा. इसके लिए वैज्ञानिकों ने कई उपाय किए हैं.
ISRO का पहला सूर्य मिशन आदित्य L1 अब अपने लक्ष्य के करीब पहुंच गया है. वह छह जनवरी को किसी भी वक्त L1 प्वाइंट पर खुद को स्थापित कर लेगा. खुद इसरो चीफ एस सोमनाथ ने यह जानकारी दी है. बेशक भारत का यह सौर मिशन अब तक सफल रहा है, लेकिन इसकी असल परीक्षा की घड़ी अब है. अगले पांच साल तक न सिर्फ इसे सूर्य का अध्ययन करना है, बल्कि सूरज की गर्म किरणों और सौर तूफानों से खुद को बचाना भी है.
भारत का पहला सौर मिशन इसी साल 2 सितंबर को लांच किया गया था, जिसे तकरीबन 125 दिन का सफर तय करके सूर्य के लैग्रेंज पॉइंट्स 1 तक पहुंचना है. यह 125 दिन 5 जनवरी को पूरे हो जाएंगे. इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक 6 जनवरी को यह किसी भी वक्त L1 प्वाइंट पर पहुंच जाएगा. इसके समय के बारे में बाद में बताया जाएगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो द्वारा विकसित यह स्पेस क्राफ्ट सूर्य के कोरोना, सौर तूफान और अन्य सौर घटनाओं का अध्ययन करेगा. यह स्प्रेस क्राफ्ट धरती और सूर्य के बीच जिस लैंग्रेज प्वाइंट तक जाएगा यह काफी गर्म इलाका है. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती इस स्पेस क्राफ्ट को बचाना है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने पहले ही तैयारी कर ली है.
सूर्य की किरणों से ऐसे बचेगा आदित्य L1
थर्मल सिक्योरिटी : आदित्य L1 को सूरज की तीव्र गर्मी से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने इसमें अतिरिक्त थर्मल सिक्योरिटी की व्यवस्था की है. आदित्य L1 को इस तरह तैयार किया गया है कि 500 से अधिक डिग्री सेल्सियस तापमान भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. यान में थर्मल सिक्योरिटी के तहत कई परतें बनाई जाती हैं जो इसके महत्वपूर्ण पेलोड, उपकरणों को ज्यादा गर्म नहीं होने देतीं.
गर्मी का प्रबंधन : आदित्य L1 पर सूरज की किरणों का प्रभाव रोकने के लिए ऐसे रेडिएटर्स और हीट पाइप लगाए गए हैं जो आदित्य L1 तक पहुंचने वाली गर्मी को अपनी ओर खींचकर दूसरी ओर फेंक देते हैं, इनका उद्देश्य किसी भी तरह से आदित्य L1 के तापमान को मेंटेंन रखता है ताकि वह अपना काम लगातार जारी रख सके.
यूवी प्रोटेक्टर : धरती को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने का काम ओजोन परत करती है. आदित्य L1 जहां जा रहा है वहां पर हानिकारक परौंगबनी किरणें होंगी जो कुछ भी पल भर में जला सकती हैं. ऐसे में आदित्य L1 में ऐसे मैटेरियल का प्रयोग किया गया है जिससे यूपी किरणें इसका कुछ न बिगाड़ सकें. यह मैटेरियल लंबे समय तक अल्ट्रा वायलेट किरणों का मुकाबला कर सकता है.
सन शील्ड : आदित्य एल1 को सूरज से बचाने के लिए इसमें एक सन शील्ड लगाई गई है. यह सूरज की ओर से आ रही किरणों को सीधे स्पेस क्राफ्ट पर पड़ने से रोकेगी. यह सूर्य की किरणों के खिलाफ एक अतिरिक्त परत है. जो अंतरिक्ष यान को जलने से बचाती है.
कहां हैं L1 प्वाइंट
L1 यानी लैंग्रेज प्वाइंट 1 धरती और सूर्य के बिल्कुल बीच में स्थित है. यानी धरती से यह 15 लाख किमी दूर स्थित है. सूरज से भी इसकी दूरी इतनी ही ही है. यह वो जगह है जहां ग्रह और तारे का गुरुत्वाकर्षण बैलेंस है. यानी यहां आदित्य L1 आसानी से अपना काम कर सकता है. इसके लिए यान को ज्यादा ईंधन का प्रयोग भी नहीं करना होगा और वह आसानी से सूरज को देख सकेगा. सूरज और धरती के बीच ऐसे पांच लैंग्रेज प्वाइंट हैं. हालांकि सूरज का अध्ययन करने के लिए सबसे सही लैंग्रेज प्वाइंट यही है.
यह काम करेगा आदित्य L1
आदित्य L1 हमारे सौर मंडल को समझने का काम करेगा, इससे भारत को सौर मंडल के आसपास होने वाली गतिशीलता को समझने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा सौर गतिविधियां कोरोनल मास इजेक्शन समेत अन्य चीजों के बारे में भी पता चलेगा. कम्युनिकेशन सिस्टम, पावर ग्रिड के व्यवधानों को समझने के लिए यह मिशन जरूरी है. चुंबकीय क्षेत्र, हीटिंग मैकेनिज्म, प्लाज्मा गतिशीलता और सूर्य के जटिल व्यवहार के बारे में भी आदित्य L1 बताएगा.